प्रेमपत्र

प्रेमपत्र

प्रिये

जब भी मैं तुम्हें खत लिखने के लिए कागज और कलम हाथ में लेता हूं तो तुम्हारा चेहरा मेरी आंखों के सामने आ जाता है और शब्द मानो खो जाते हैं, कितनी ही कोशिशों के बावजूद भी मैं अपने मन की भावनाओं को कागज पर नहीं उतार पाता। तुम्हारे प्रति अपने प्यार का इज़हार करने के लिए मेरे मन में अनगिनत भावनाएँ उमड़ रही हैं, लेकिन जब मैं उन भावनाओं को कागज़ पर उतारने की कोशिश करता हूँ, तब मानो मेरे सारे शब्द तुम्हारे चहेरे के पीछे कहीं गायब हो जाते हैं।

आज प्यार के दिन, एक बार फिर अपने प्यार को शब्दों में व्यक्त करने की चाहत में कागज और कलम उठाया, कि मन की भावनाओं को, मन की अभिव्यक्ति को शब्दों में व्यक्त करना है, और इसीलिए मैंने अपनी आंखे मूँद ली ताकि मै अपनी भावनाओं को शब्दों में उतार सकूँ, क्योंकि मैं जानता था, कि जैसे ही मैं अपनी आँखें खोलूंगा, तुम्हारा चेहरा मेरी आँखों के सामने आ जाएगा और शब्द फिर से खो जाएंगे।

मुझे आशा है कि मेरी जो भावनाएँ शब्दों में उतरी हैं और जो भावनाएँ शब्दों में नहीं उतर सकी हैं, उन्हें तुम मन की भाषा में भी समज सकोगी और उसे स्वीकार करोगी।

तुम्हारी तसवीरमे शब्दों को ढूँढता हुआ मै

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